बारिश और तुम

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जब भी मौसम करवट लेता है ।
ये घने काले बादल, शीतल तेज हवाएं,
कभी हल्की बारिश की फुहारें,
कभी घनघोर तूफानी तेज बारिश,
ना जाने क्या रिश्ता है इनका ,
तेरी यादों के साथ,
दोनों ही,बेचैन करके भी ,
दिल को इक चैन दे जाते हैं ।


ये उमड़ते काले घनघोर बादल,
जैसे किसी मंजिल की तरफ तेजी से‌ बढ़ते हुए,
तेरा, मेरे शहर से गुजरने का आभास कराते हैं ।
और कभी कभी यही बारिश की बूंदे बनकर ,
मेरे तन मन को भिगोकर,
तेरी जुल्फों की घनी छांव की तरह,
दिल को ठंडक का अहसास कराते हैं ।
बारिश की फुहारों को समेटे ये ठंडी हवाएं,
कभी मध्यम लय में, कभी तेज बहती हुई,
मेरे तन मन को, तेरे कोमल स्पर्श का अनुभव कराती है ।


जब भी मौसम का रुख बदलता ‌है।
प्रकृति की ये हलचले ,
तेरी मासूम हरकतों को खुद में दिखाती है ।
ऐसे में मेरा हृदय एकदम शून्य हो जाता है ,
जेहन में चल रहे सभी अन्तरर्दन्दं,
तेरे होने के आहट मात्र से ही विलीन हो जाता है ।
इस तरह मैं तुझ में, खुद में, इन फिजाओ में खो सा जाता हूं ।
और जब मैं इस ख्वाब से उठता हूं,
फिर साफ शांत मौसम में,
सूरज की सुनहरी चमकीली किरनो के बीच ,
हमेशा की तरह, तू उनमे मुस्कुराती हुई नजर आती है ।

©AnuRag

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